DDU Gorakhpur: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी इन दिनों अनेक कारणों से चर्चा में है…वैसे तो इस यूनिवर्सिटी को ए++ दर्जा मिला… यह आजाद भारत में खुलने वाला यूपी का पहला राज्य विश्वविद्यालय है… गोरखनाथ मंदिर और इस विश्वविद्यालय का बहुत ही पुराना नाता है। इस विश्वविद्यालय से पढ़ाई करके अनेक हस्तियां देश-दुनिया में नाम रोशन कर चुकी है और कर रही हैं।
लेकिन पढ़ाई के अलावा भी यहां बहुत कुछ होता है इस यूनिवर्सिटी में बहुत सारे राज दफन है कुछ तो ऐसे है जो सामने आ जाते है लेकिन कुछ राज दफन ही रह जाते है और अतीत के पन्नों में खो जाते है।
डीडीयू में दफन कई राज !
फिलहाल सुर्खियों में यौन शोषण का मामला है दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के एक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर को यौन उत्पीड़न के आरोप के बाद निलंबित कर दिया गया है। इस दौरान उनका यूनिवर्सिटी के परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. आरोपी प्रोफेसर का Student के साथ बातचीत का एक आडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है जिसमें वो शराब के नशे में चूर है और अपनी मर्यादा को लांघते हुए नजर आ रहे हैं।
डीडीयू में यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद और भी सवाल उठने लगे है वजह इसके पीछे बहुत सारे है। ऐसे बहुत सारे मामले है जिनको पुलिस सुलझाने में लगती है तो संबंधित विभाग उलझाने में।
DDU Gorakhpur: रिपोर्ट के मुताबिक…
जून 2023 में यूनिवर्सिटी के एलएलबी डिपार्टमेंट के 2 टीचर पर एक युवती ने शारीरिक शोषण का आरोप लगाया। सोशल मीडिया पर लाइव आकर युवती ने आरोप लगाया फिर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जांच कमेटी गठित कर दी लेकिन आज तक इसकी रिपोर्ट सामने नहीं आई।
पुलिस जवाब देकर कहती है की जांच कमेटी गठित कर दी गई है। लेकिन जांच ना तो पूरी होती है औऱ ना ही कोई रिपोर्ट आती है।
जुलाई 2023 में रिसर्च कर रही एक छात्रा ने दो टीचर पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया था इसके लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम जांच के लिए आई थी। गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रिपोर्ट देने की बात की। लेकिन जांच हुई या नहीं सच किसी को नहीं पता।
ऐसे बहुत सारे केस है जो यूनिवर्सिटी पर सवाल उठाते है। और इसकी छवि पर दाग लगाते है अगर इसके इतिहास के बारें में बताए तो ….
गोविंद बल्लभ पंत ने रखी थी नींव
आजाद भारत में यूपी के पहले विश्वविद्यालय की नींव राज्य के तत्कालीन सीएम गोविंद बल्लभ पंत ने रखी थी। वर्ष 1956 में औपचारिक तौर पर इसका एक्ट विधानसभा से पास हुआ और 11 अप्रैल 1957 को पहले कुलपति के रूप में बीएन झा ने कार्यभार संभाला। पहले इसका नाम गोरखपुर यूनिवर्सिटी था।
वर्ष 1997 में इसे दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के रूप में नोटिफाई किया गया था। इसकी स्थापना की बात करे तो गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजय नाथ ने अपने दो महाविद्यालय महाराणा प्रताप महाविद्यालय एवं महाराणा प्रताप महिला महाविद्यालय परिसर कक्षाओं के संचालन को विश्वविद्यालय को दे दिया था।
गीता प्रेस के संस्थापकों में से एक हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं सरदार मजीठिया का नाम भी इस विश्वविद्यालय में उनकी शुरुआती मदद के लिए बहुत सम्मान से लिया जाता है।
आपको बता दें की इस यूनिवर्सिटी का नाम देश दुनिया में छाया है। यहां के छात्र देश दुनिया में मुकाम हासिल कर चुके है। इसकी संख्या सैकड़ों में है। बड़ी-बड़ी हस्तियां यहां से निकली है इस विश्वविद्यालय ने एक दर्जन से ज्यादा कुलपति दिए है।
यहां के छात्र
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, एमपी जगदंबिका पाल, प्रमुख साहित्यकार पद्मश्री विश्वनाथ तिवारी, पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, जनरल एसपीएम त्रिपाठी समेत सेना, शिक्षा, राजनीति, विज्ञान के क्षेत्र में छाए हुए हैं।