Vidhyasagar Ji Maharaj: नहीं रहे ‘वर्तमान के वर्धमान’ली समाधि, जानिए विद्यासागर कैसे बने महान संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Vidhyasagar Ji Maharaj: पूरे जैन समाज के लिए 18 फरवरी का दिन थोड़ा सा कठिन है। क्योंकि वर्तमान के महावीर कहे जाने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज ने अपना देह त्याग दिया है और पूरे विधि विधान के साथ समाधि ले ली है । आपको बता दें कि उनका शरीर रात के 2:35 पर संसार छोड़ चुका है । आचार्य ज्ञान सागर के शिष्य थे विद्यासागर जब आचार्य ज्ञान सागर ने समाधि ली थी तो उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था ऐसे में मुनि विद्यासागर में 26 वर्ष की उम्र में ही 22 नवंबर 1972 में आचार्य बन गए थे।

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अब सवाल यह है कि अगला आचार्य कौन होगा तो

आपको बता दे कि जिस तरीके से विद्यासागर महाराज ने तीन दिन पहले ही अपने आचार्य का प्रत्येक दिया और अपना आचार्य पद उनके पहले मनुष्य से निर्यापक श्रवण मुनि श्री समय सागर को सौंप दिया गया कहा जा रहा है कि 6 फरवरी को उन्होंने मुनि समय सागर और मनी योग्य सागर को एकांत में बुलाकर अपनी जिम्मेदारी सौंप दिए। बता दे कि यह दोनों मुनि समय सागर और युग सागर उनके गृहस्थ जीवन के सगे भाई थे।

आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म

आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सब लगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन यानी की 10 अक्टूबर को हुआ था आचार्य विद्यासागर महाराज के तीन भाई और दो बहन है तीनों में से दो भाई मनी है और मां भाई महावीर प्रसाद भी धर्म के कामों में लगे हुए हैं आचार्य विद्यासागर महाराज की बहने बड़ा और सुवर्णा ने भी ब्रह्मचर्य लिया था। आपको बता दे कि आचार्य विद्यासागर महाराज अब तक 500 से ज्यादा दीक्षा दे चुके हैं। 11 फरवरी को आचार्य विद्यासागर महाराज को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उन्हें ब्रह्मांड के देवता के रूप में सम्मानित किया गया था।

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ब्रह्मांड के देवता के रुप में सम्मानित

आपको बता दें कि आचार्य विद्यासागर महाराज की माता का नाम श्रीमती और पिता का नाम मल्लप्पा था उनके माता-पिता ने भी दीक्षा लेकर समाधि ले ली थी पूरे बुंदेलखंड में आचार्य विद्यासागर महाराज छोटे बाबा के नाम से फेमस है क्योंकि उन्होंने मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर में बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की मूर्ति को मंदिर में रखवाया था और कुंडलपुर में अक्षरधाम के तर्ज पर भव्य मंदिर बनवाया था।

Vidhyasagar Ji Maharaj: छतीसगढ़ में ली समाधि

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन किए थे और उनसे आशीर्वाद लिया था आचार्य विद्यासागर महाराज जन्म कल्याण के लिए जाने जाते थे गरीबों से लेकर जेल के कैदियों तक के लिए उन्होंने बेहतरीन काम किया आचार्य विद्यासागर महाराज का देश के लिए हमेशा ही कहना था कि इंडिया ने भारत बोलो और वह हमेशा से हिंदी राष्ट्र और हिंदी भाषा को बढ़ाने में अग्रसर है।

पीएम मोदी है परम भक्त

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए अपुर्णीय क्षति है लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे वह जीवन भर गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे हमेशा उनका आशीर्वाद मिलता रहा।

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