Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर का 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह जितना शानदार होगा उतना ही शानदाक इसका निमंत्रण पत्र भी है। इसमें कवर पर राम मंदिर का भव्य चित्र है। इसके साथ मंदिर आंदोलन के नायक और संतों और खास लोगों के बारें में जानकारी देने वाली एक बुकलेट भी है। इसमें रामानुज पंरपरा के संत ब्रम्हालीन देवरहा बाबा की फोटो भी है।
निमंत्रण पत्र में क्या है खास?
मंदिर और कमल पुष्प पर खड़े भगवान राम का चित्र भी है। चलिए ये बताते है की और क्या-क्या इसमें खास है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण पत्र पर नए भव्य राम मंदिर का चित्र सबसे पहले है। इसके साथ ही लिफाफे पर भी मंदिर का चित्र बना है सदियों बाद ऐसा समय आया है इसको देखते हुए निमंत्रण पत्र पर अपूर्व,अनादिक निमंत्रण लिखा है।
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Ayodhya Ram Mandir: पत्र के कवर लेटर पर धनुर्धारी राम
इसके अंदर भी मंदिर का चित्र है तो वहीं’ कमल पुष्प’ पर खड़े धनुर्धारी राम का चित्र भी है। राम का चित्र बाल रूप में है सुनहरे रंग के निमंत्रण पत्र को कई अलग-अलग भागों में बांटा गया है। निमंत्रण पत्र में मुख्य कार्यक्रम की लिस्ट में सबसे पहले प्रमुख अतिथियों का नाम है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उसके बाद क्रम से संघ प्रमुख मोहन भागवत,UP की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल,UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उसके बाद श्रीराम ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का नाम है।
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ये 5 मुख्य लोग हैं जो प्राण प्रतिष्ठा के वक्त मुख्य पूजा में शामिल रहेंगे। अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल और समय की जानकारी निमंत्रण पत्र में अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल और समय की जानकारी है। प्राण प्रतिष्ठा पूजा के कार्यक्रम का समय सुबह 11:30 बजे से होगा, 1130 बजे अतिथियों का आगमन होगा। उसके बाद मंगल विधि से प्राण प्रतिष्ठा पूजा 11:30 से 12:30 बजे तक होगी।
निमंत्रण पत्र में दी गई है खास जानकारी
निमंत्रण पत्र में ही यह जानकारी दी गई है कि 12:30 बजे से पीएम समेत इन विभूतियों का उद्बोधन भी होगा। निमंत्रण पत्र पर’ निवेदक’ के रूप में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों का नाम है।
पुस्तिका में मंदिर आंदोलन के नायकों के चित्र और जानकारी निमंत्रण पत्र की एक सबसे खास बात ये है इसके साथ एक बुकलेट भी दी जा रही है। राम मंदिर के लिए सक्रिय रहे दिवंगत लोगों और संतों पर इस बुकलेट को ‘संकल्प’ नाम दिया गया है। इसमें कवर पेज के बाद भूमिका लिखी है।
इस बुकलेट में बताया गया है कि पुस्तिका 1528 से 1984 तक राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले लोगों को समर्पित है। जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष 76 संघर्षों में भाग लिया था। साथ ही ये भी लिखा है कि इस संघर्ष से प्रेरणा लेकर अक्टूबर 1984 को सरयू तट पर 77वां संघर्ष प्रारंभ हुआ था, इसके बाद रामलला की मौजूदा विग्रह की तस्वीर है।
देवरहा बाबा समेत इन संतों की तस्वीर उसके बाद रामानुज परम्परा के संत ब्रह्मलीन देवरहा बाबा की तस्वीर है। उन्होंने 1989 के कुम्भ में राम मंदिर आंदोलन का समर्थन किया था। बुकलेट में देवरहा बाबा के बाद संत अभिराम दास, महंत परमहंस रामचंद्र के चित्र और मंदिर के लिए अदालती लड़ाई और आंदोलन करने वाले अन्य लोगों के चित्र और उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी है। …………………..