American think tank brookings: क्या भारत से पूरी तरीके से गरीबी अब खत्म हो चुकी है। अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बात कही है उसने कहा है कि भारत से गरीबी अब ऑफिशियली तौर पर खत्म हो चुकी है इसमें कहा गया है कि भारत में गरीब आबादी की संख्या लगातार कम हो रही है और देश से महा गरीबी पूरी तरीके से खत्म हो चुकी है। पिछले साल भी कहा था कि पहले 30 साल में इस तरह की प्रगति देखने को मिली थी, लेकिन अब पिछले 11 सालों में हासिल की जा चुकी है।
अपनी रिपोर्ट में घरेलू खपत में बाहरी वृद्धि का हवाला देते हुए कहा कि यह निष्पक्ष तरीके से योजनाओं को लागू करने के सरकार की मजबूत नीति का ही परिणाम है। जिसने पिछले दशक में भारत में मजबूत समावेशी विकास हुआ है। आपको बता दें कि हाल ही में भारत ने 2022-23 के लिए अपना आधिकारिक उपभोक्ता वह डाटा जारी किया है। इन आंकड़ों से पिछले 10 वर्षों में भारत की गरीबी को लेकर अनुमान मिलता है राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय ने ताजा अध्ययन के मुताबिक देश में परिवारों का प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022 में दोगुना से अधिक है।
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कौन कितना खर्च करता है ?
आपको बता दें कि जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक सांख्यिकी और कार्यन्वयन मंत्रालय के तहत अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के दौरान परिवारों का उपभोग खर्च सर्वेक्षण किया। केंद्र सरकार ने भारत में खाने कपड़े नशे और अन्य या चीजों पर कौन कितना खर्च करता है इसको लेकर हाउसहोल्ड कंजप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे यानी कि एचसीजी जारी किया। आंकड़ों के मुताबिक 2011 से 12 तक वास्तविक प्रति व्यक्ति खपत वृद्धि 2.9 फ़ीसदी प्रतिवर्ष दर्ज की गई।
शहरी और ग्रामीण दोनों असमानताओं में अभूतपूर्व गिरावट
इसके तहत 3.5% की ग्रामीण वृद्धि 2.6% की शहरी वृद्धि की तुलना में काफी ज्यादा थी। डाटा ने शहरी और ग्रामीण दोनों असमानताओं में अभूतपूर्व गिरावट भी दिखाई। रिपोर्ट के मुताबिक उच्च विकास और समानता में बड़ी गिरावट ने मिलकर भारत में गरीबों को खत्म कर दिया। हेड काउंट पॉवर्टी रेशों के मुताबिक 2011-12 में 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में दो प्रतिशत हो गया।
American think tank brookings: ग्रामीण गरीबी ढाई प्रतिशत जबकि शहरी गरीबी
ग्रामीण गरीबी ढाई प्रतिशत थी जबकि शहरी गरीबी घटकर एक प्रतिशत रह गई आंकड़े कहते हैं कि भारत में दोनों स्तरों पर गरीब लोगों की संख्या विश्व के अनुमान से काफी कम है। ब्रोकिंग रिपोर्ट ने 1977 तक एक दशमलव व्यस्त पीपीपी और 3.2 उस पीपीपी दोनों के लिए भारत के अकाउंट गरीबी अनुपात को दर्शाने वाला एक चार्ट पेश किया है । जिसमें कहा गया है कि उच्च गरीबी रेखा पर एससीआर में गिरावट उल्लेखनीय है क्योंकि पहले भारत को गरीबों के स्तर में इतनी गिरावट देखने में 30 साल लग जाते थे जबकि अब 11 साल से अधिक समय में यह उपलब्धि हासिल हो गई है।