Biography of Sarabjit Singh: कौन थे सरबजीत सिंह, पाकिस्तान की जेल में कैसे कटी जिंदगी, पढ़िए पूरी Profile

Biography of Sarabjit Singh: पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय सरबजीत सिंह की हत्या की आरोपी आमिर सरफराज तांबा की लाहौर में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकी संगठन लश्कर के संस्थापक हाफिज सहित के करबी सहयोगी तांबा पर मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने लाहौर के इस्लाम पुरा इलाके में हमला किया जहां उसे नाजुक अस्पताल हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी डेथ हो गई।

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चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर सरबजीत सिंह कौन थे जिनकी इतनी चर्चा हो रही है और जिनके हत्यारे की हत्या होने के बाद लोग जश्न मना रहे हैं।

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Biography of Sarabjit Singh: कौन थे सरबरजीत सिंह

दरअसल सरबजीत सिंह भारत पाकिस्तान सीमा पर बसे तारांतरण जिले के भीगी भिंड गांव के रहने वाले थे वह किसान थे उनके परिवार में पत्नी सुखप्रीत कौर के अलावा दो बेटियां स्वप्नदीप और पूनम कौर थी। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने 1991 से 2013 में उनकी मृत्यु तक उनके रिहाई के लिए लगातार पर भी की 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तान सीमा में पहुंच गए।

जहां से उन्हें पाकिस्तान सुना ने अरेस्ट कर लिया था 1990 में पाकिस्तान में कई बम विस्फोट में गठित तौर पर शामिल होने का दोषी सरबजीत सिंह को कर दिया गया इसके लिए उन्हें मौत की सजा भी सुनाई गई थी हालांकि भारत में सरबजीत सिंह के परिवार का कहना है कि वह गलत पहचान का शिकार हुए और गलती से सीमा पार करके वह पाकिस्तान पहुंच गए थे।

पढ़िए पंजाब से पाकिस्तान तक का सफर

सरबजीत सिंह का जन्म 1963-64 के करीब पंजाब के तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव में हुआ था। खेती करने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले सरबजीट स्कूल की पढ़ाई के बाद अपने परिवार की मदद के लिए खेतों में काम करने लगे। 1990 में उनके साथ एक घटना घटी जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। बताया जाता है कि 1990 में सरबजीत सिंह गलती से भारत-पाकिस्तान सीमा पार कर पाकिस्तान की तरफ चले गए। उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया।

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पाकिस्तान ने उन पर जासूसी और लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया, इन धमाकों में 14 लोगों की मौत हुई थी। 1991 में उन्हें पाकिस्तान की अदालत ने मंजीत सिंह के नाम पर फांसी की सजा सुनाई सरबजीत का कहना था कि वो बेगुनाह हैं और उनकी पहचान गलत हुई है।

22 साल जेल में रखा गया

सरबजीत को लाहौर की कोट लखपत जेल में रखा गया, उन्हें वहां 22 साल तक कैद रहना पड़ा। इन सालों में भारत सरकार लगातार उनकी रिहाई की कोशिश करती रही, सरबजीत की पत्नी और बहन भी उन्हें रिहा कराने के लिए काफी संघर्ष किया।

आपको जानकार हैरानी होगी कि 2013 में अचानक से खबर आई कि सरबजित सिंह पर जेल में कुछ कैदियों ने हमला कर दिया, इस हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं और कुछ दिनों बाद उनकी पाकिस्तान के अस्पताल में मौत हो गई। सरबजीत सिंह का मामला भारत और पाकिस्तान के रिश्तों का एक विवादित अध्याय बन गया। भारत सरकार हमेशा से यह दावा करती रही कि सरबजीत बेगुनाह थे और उन्हें फंसाया गया था।


सरबजीत सिंह की कहानी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और राजनीतिक उठापटक की भी कहानी है। उनकी जिंदगी का अंत भले ही दुखद रहा हो, लेकिन उनकी कहानी आज भी दोनों देशों के लोगों को याद दिलाती है कि रिश्तों को बेहतर बनाने की कितनी जरूरत है।

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