Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है 9 दिन माता रानी की अलग-अलग प्रकार से भक्त जो है उपासना करते हैं चलिए आज हम आपको मेवाड़ के प्रवेश द्वार के जाने वाले भीलवाड़ा के ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जून केवल अपनी प्राचीन था बल्कि चमत्कारिक किस्तों के लिए भी मशहूर है भीलवाड़ा जिले के आसींद में स्थित बंकिया रानी माता मंदिर तकरीबन 1100 साल पुराना अगर इस मंदिर की खासियत की बात की जाए तो यहां दर्शन के लिए भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ अजमेर राजसमंद सहित प्रदेश वर्सेस श्रद्धालु आते है।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष लक्ष्मी लाल गुर्जर इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं बंकिया रानी माता मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है यहां पर हनुमान जी भगवान भैरव माता बंकिया रानी का प्रसिद्ध स्थान है कहते हैं कि प्रेत बधाइयां दूर हो जाती है शनिवार रविवार को यहां पर खास भीड़ लगती है।
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Chaitra Navratri: मंदिर की खास बातें
मंदिर के पास तालाब है लोग उसमें स्नान करते हैं पुजारी कहते हैं कि मंदिर परिसर में आते ही बीमारी से जो ग्रसित लोग हैं उनके आचार और विचार में परिवर्तन आ जाता है 9 दिन यहां पर पूरे परिवार से कोई ना कोई रहता है आपको बता दे कि यहां पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है यहां के बारे में जो कथा फेमस है।
क्या है रहस्य ?
उसके अनुसार मंदिर के पुजारी और ट्रस्टी देवीलाल के मुताबिक बंक्यारानी माता बागेश्वरी रक्षा का वध करके बाकी घर में प्रकट हुई वहां से प्रस्थान कर आकाश मार्ग से जा रही थी प्राचीन बदनोर प्रांत के आमेश्वर के जंगल में बाल गोपाल पशु चला रहे थे उन्हें वह दिखाई थी और वह चिल्ला उठे पुकारने पर माता भवानी अपनी यात्रा स्थगित कर वर्तमान में स्थापित मूर्ति की जगह उतर आई और उसे जगह पाषाण का रूप धारण कर लिया तभी से यहां पर माता विराजमान है।
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देवी के बारे में एक और कहानी है कहते हैं कि यहां रहने वाला ईश्वर दास पवार की संतान था देवी की कृपा से उसे बच्चा हुआ इसके बदले में महिषासुर भैंस की बलि देनी थी लेकिन ईश्वर दास वादा भूल गया जब वह बच्चा 12 साल का हुआ तो माता के प्रताप से अपने जन्मदिन पर वह पिता से बोला मैं बनके रानी के दर पर समर्पित होने जा रहा हूं इतना करके बच्चा वहां से चला गया अपना शेषन के चरणों में अर्पित कर दिया जब तक परिवार के लोग वहां से भाग्य भाग्य तो देखा कि बच्चे का सर सोने की थाली में कटा पड़ा था आज भी यहां मंदिर के बाहर कटे हुए धड़ पर सर रखे हुए मूर्ति लगी हुई है।