CrPC: अक्सर करके आर्टिकल 144 का जिक्र सुनने और देखने में आता है। जिसमें अक्सर ये बात सामने आती है कि पुलिस प्रशासन ने हालात को देखते हुए इलाके में आर्टिकल 144 लगा दी है। जिसके बाद इलाके में शांति व्यवस्था बनी रहे है। दरअसल जब किसी शहर में किसी भी कारण से माहौल बिगड़ने की संभावना होती है या कानून व्यवस्था पर संकट नजर आता है तो वहां आर्टिकल 144 लगा दी जाती है। इस धारा का इस्तेमाल कई मामलों में किसी आशंका के मद्देनजर किया जाता है। चलिए आपको इस आर्टिकल में बताते है कि आखिर आर्टिकल 144 क्या है और इसका इस्तेमाल क्यों और कब किया जाता है।
क्या है आर्टिकल 144 ?
दण्ड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी CrPC के तहत आने वाली धारा 144 शांति व्यवस्था को कायम करने के लिए लगाई जाती है। इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट एक नोटिफिकेशन जारी करता है। दरअसल जिस इलाके में धारा 144 लगाई जाती है वहां 4 या उससे ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठे नहीं हो सकते है। इस धारा को लागू करने के बाद उस स्थान पर हथियारों के लाने पर भी रोक लगा दी जाती है।
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CrPC: आर्टिकल 144 कब लागू की जाती है ?
दण्ड प्रक्रिया संहिता यानी की Code of Criminal Procedure 1973 के तहत आने वाली धारा 144 शांति और टेंशनमुक्त माहौल बनाए रखने के लिए लागू की जाती है। दंगा, लूटपाट, हिंसा और मारपीट को रोकरने के लिए इस धारा को लागू किया जाता है। कहीं भी किसी शहर में जब हालात बिगड़े तो जिससे आम नागरिकों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने की आशंका हो तो वहां धारा 144 लगा दी जाती है।
सजा का क्या है प्रावधान ?
आर्टिकल 144 का उल्लंघन करने वाले या इस धारा का पालन नहीं करने वाले शख्स को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। उस व्यक्ति की गिरफ्तारी आर्टिकल 107 या फिर आर्टिकल 151 के तहत की जा सकती है। इस आर्टिकल का उल्लघंन करने वाले या पालन नहीं करने के आरोपी को 1 साल कैद की सजा हो सकती है। वैसे इसमें जमानत हो जाती है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता क्या है ?
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिए कई खास कानून है। यह सन् 1973 में पारित हुआ था। इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया। दंड प्रक्रिया संहिता का शार्ट फॉर्म CrPC है। जब कोई अपराध किया जाता है तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करती है।