Darul Uloom: देश की सबसे बड़ी इस्लामी संस्था दारुल उलूम देवबंद अपने फतवे पर को लेकर सुर्खियों में है । इसमें उन्होंने गजवा ए हिंद को मान्यता दी इस्लामी संस्था ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से यह फतवा जारी किया। जिसमें उन्होंने गजवा- ए -हिंद को इस्लामी नजरिए से सही माना है जिस पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने एक्शन लेते हुए इस फतवे को देश विरोधी बताया। चलिए जानते हैं दारुल उलूम देवबंद क्या है इसकी स्थापना कब और किसने की थी।
गजवा-ए- हिंद का मतलब क्या है ? क्या है दारुल उलूम देवबंद ?
दरअसल दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 30 में 1866 में हाजी आबिद हुसैन और मौलाना कासिम नानौतवी ने की थी। दारुल उलूम एक अरबी शब्द है इसका मतलब होता है ज्ञान का घर । यहां भारत के साथ ही दुनिया के कई देशों से स्टूडेंट इस्लाम की तालीम हासिल करने के लिए आते हैं । गजवा ए हिंद में गजवा का अर्थ इस्लाम को फैलाने के लिए जाने जाने वाले जंग होता है।
इस युद्ध में शामिल इस्लामी लड़कों को गाजी कहा जाता है मोटे तौर पर गजवा ए हिंद के मायने भारत में जंग के जरिए इस्लाम की स्थापना करने से हैं।
Darul Uloom: गजवा ए हिंद का मतलब क्या है ?
गजवा ए हिंद का मतलब भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले काफिरों को जीत कर उन्हें मुस्लिम बनने से हैं। दुनिया के हिस्से में रहने वाले लोगों के साथ युद्ध है आसान शब्दों में कहे तो गजवा ए हिंद का मतलब जंग में भारत को जीत कर इसका इस्लामी करण करने से है इस्लाम में दुनिया को दो हिस्सों में बांट कर देखा गया।
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जहां एक इस्लाम को मानने वालों का शासन है दूसरा जहां इस्लाम मानने वाले लोग रहते हैं लेकिन वह शासन किसी दूसरे धर्म का है इस्लाम में मुस्लिम शासन वाले देश को दारुल इस्लाम कहा जाता है वहीं गैर मुस्लिम शासन वाले देश को दारुल उलूम के कारण देवबंद तत्वों की नगरी के नाम से जाना जाता है।
दारुल उलूम से जारी फतेह दुनिया भर के मुसलमान की शरण की रोशनी में रहनुमाई करते हैं । दारुल उलूम के फतवा विभाग से हर वर्ष लगभग 7 से 8000 फतवे जारी होते है।