Deadliest election: अब तक का सबसे खूनी चुनाव, 800 लोगों की हुई थी हत्या, इतने हजार लोग हो गए थे बेघर

Deadliest election: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है मतदान 19 अप्रैल से शुरू होकर सात चरणों में होगा और 1 जून को खत्म होगा 4 जून को नतीजे आ जाएंगे इस दौरान देश में आदर्श आचार संहिता लागू रहेगी अगर राजनीतिक दल नेता प्रत्याशी या किसी भी आम आदमी ने आचार संहिता का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी अगर किसी भी व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर धार्मिक जातियां किसी भी तरह के हिसा बहकने वाला पोस्ट किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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कैसे भड़क गई चुनाव के बाद हिंसा

लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चुनाव के बारे में बताने वाले हैं जिनको हालिया दौर का सबसे खूनी चुनाव कहा जाता है चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान हिंसा का दुनिया भर में लंबा इतिहास रहा ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का सबसे खूनी चुनाव 2011 में हुआ था। दरअसल अप्रैल 2011 में गुड लक जोनाथन नाइजीरिया के चुनाव में फिर से राष्ट्रपति बने थे इस नाइजीरिया के इतिहास का सबसे निष्पक्ष चुनाव माना गया लेकिन उनकी जीत के अगले तीन दिन तक देश में इतनी हिंसा हुई की पूरी दुनिया से देख कर का पोती चुनाव के बाद हुई हिंसा में 800 से ज्यादा लोगों की हत्या हो गई।

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65000 से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा गुड लक जोनाथन के जो मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे पूर्व सैन्य शासक मोहम्मद बिहारी की हर में उत्तर में मुस्लिम समुदाय के लोग बर्दाश्त नहीं कर पाए। उन्होंने अपने नेता की हार स्वीकार करने से इनकार किया बिहारी की कांग्रेस का प्रोग्रेसिव चेंज पार्टी यानी सीपीसी कुरुक्षेत्र में नया चुनाव के लिए अदालत में चली गई। अमेरिका अधिकार समूह में पश्चिम अफ्रीका के शोधकर्ताओं को ने कहा कि अप्रैल के चुनाव को नाइजीरिया के इतिहास में सबसे निष्पक्ष चुनाव के तौर पर घोषित किया जाएगा लेकिन वह सबसे खूनी चुनाव में से एक था ।

Deadliest election: फूंक डाले घर, दुकान, चर्च, मस्जिद

दरअसल नाइजीरिया में दक्षिण के स्थाई गुड लक जोनाथन को विजेता घोषित किए जाने के बाद मुस्लिम भड़क गए थे । इस देश के उत्तरी हिस्से में दंगे भी मुस्लिम और ईसाइयों के घर दुकान और चर्च जलाकर खाक कर दिया चुनाव हिंसा के तौर पर शुरू हुए दंगों ने कुछ घंटे में सांप्रदायिक दंगे का रूप ले लिया। इसके बाद ईसाई समुदाय के लोग भड़क गए और प्रतिक्रिया में उन्होंने मुसलमानों के घर दुकान मस्जिद जला दिया।

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दंगा करने के बाद जोनाथन ने हिंसा की जांच के लिए धार्मिक नेता पारंपरिक शासको और वकीलों का एक पैनल गठित किया इस घटना में जहां बिहारी के समर्थकों का कहना था कि 16 अप्रैल 2011 के चुनाव के बाद हुए दंगों को किसी ने भड़काया नहीं वहीं जोनाथन की सट्टा रोड पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी जीडीपी ने अपने विरोधियों को हिंसा के लिए।

नेताओं ने कीं विवादित टिप्‍पणियां

आपको बता दें कि हिलसा की जांच के दौरान करुणा में 500 लोगों को अरेस्ट किया गया उन पर मुकदमे चलाए गए ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण के राज्यों में हिंसा का असर हुआ था। दक्षिण के जाति समुदाय को भी निशाना बनाया गया रिपोर्ट में कहा गया था कि हिंसा का संबंध संसाधन को लेकर चल रही।

प्रतिबंध और नागरिकता नेशन जैसी समस्या से था ह्यूमन राइट्स वॉच ने तब कहा था कि पहले भी ऐसी हिंसा के मामलों में पुलिस और सरकारी अभियंताओं ने शायद ही किसी को सजा दिलाई हो संगठन का कहना था कि मामले में प्रशासन का रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं रहा सुरक्षा बलों में कुछ सुधार जरूर हुआ लेकिन पुलिस में अभी भी बहुत ज्यादा कुछ सुधार के गुंजाइश है हालांकि सी ने इन घटनाओं से निपटने की पूरी कोशिश की थी।

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