Electoral Bonds: लोकसभा चुनाव से पहले ही इलेक्ट्रोरल बॉन्डस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है । दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है साथ ही कोर्ट ने कहा है की इलेक्ट्रोरल बॉन्ड की सूचना के अधिकार का उल्लंघन है वोटर को पैसों के फंडिंग के बारे में जाने का हक है। एससी ने कहा की बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है कोर्ट ने यह भी कहा कि गुमनाम चुनाव में बंद सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 एक ए का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आगे कहा कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के अलावा भी काले धन को रोकने के दूसरे तरीके हैं । इसके साथ ही अदालत ने कहा कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड की गोपनीयता जानने के अधिकार के खिलाफ है। राजनीतिक दलों की फन्डिंग के बारे में जानकारी होने से लोगों को वोटिंग का इस्तेमाल करने में स्पष्ट मिलती है। इसके साथ ही फैसला सुनाते हुए एससी ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी उजागर न करना इसके मकसद के विपरीत है। एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक की सभी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
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एसबीआई को यह जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी इलेक्शन कमीशन इस जानकारी को शेयर करेगा एसबीआई को तीन हफ्ते के भीतर यह जानकारी देनी होगी इलेक्ट्रोरल बॉन्ड होते क्या है दरअसल साल 2018 में इस बॉन्ड की शुरुआत हुई। इसे लागू करने के पीछे कारण यह था कि इसे राजनीतिक फंडिंग में ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और साफ सुथरा धन आएगा। इसमें व्यक्ति कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीद कर राजनीतिक दलों को चंदा के रूप में देती थी और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में बनाकर रकम हासिल करते थे।
एसबीआई की 29 शाखों को इलेक्ट्रोरल बांड जारी करने और उसे बनाने के लिए अधिकृत किया गया था। यह शाखाएं नई दिल्ली,मुंबई,कोलकाता, चेन्नई,गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु में थी ।
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Electoral Bonds: क्यों जारी हुआ था इलेक्ट्रोरल बॉन्ड
दरअसल चुनावी फंडिंग में व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार ने साल 2018 में इलेक्ट्रोरल बॉन्ड की शुरुआत की 2 जनवरी 2018 को तत्कालीन मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अधिसूचित किया। इलेक्ट्रोरल बॉन्ड फाइनेंस सेक्टर 2017 के तहत ले गए थे यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी अप्रैल जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं। इसके लिए ग्राहक बैंक के शाखा में जाकर उसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन जाकर इसको खरीद सकता है।
चलिए बताते हैं आपको की इलेक्ट्रोल बंद की खूबी क्या होती है
दरअसल कोई भी दाता अपनी पहचान छुपाते हुए एसबीआई से एक करोड रुपए तक के इलेक्ट्रोरल बांड खरीद सकता है और अपनी मनपसंद पॉलीटिकल पार्टी को चंदा के रूप में दे सकता था। यह व्यवस्था दानकर्ता की पहचान नहीं खोलती और इसे टैक्स से भी छूट मिलती है आम चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट हासिल करने वाले राजनीतिक दल को इसी बॉड से चंदा मिलता है।
कैसे काम करता है यह बॉन्ड
दरअसल एक व्यक्ति लोगों का समूह या कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी करने वाले महीने के 10 दिनों के भीतर एसबीआई को निर्धारित शाखों से चुनावी बांड खरीद सकता था जारी होने की तिथि से 15 दिनों की वैलिड वाले बांड हजार रुपये ₹10000 ₹100000 10 लाख रुपए और एक करोड रुपए में जारी किए जाते हैं यह बांड नकद में नहीं खरीदे जाते और खरीदार को बैंक में केवाईसी फॉर्म जमा करना होता था।