Fali S Nariman: देश के जाने-माने न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता फली.एस. नरीमन का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली में उन्होंने अंतिम सांस ली है नरीमन 70 साल से ज्यादा समय तक न्याय की सेवा करते रहे संवैधानिक मामलों के जानकारी होने के साथ-साथ फली एस नरीमन नागरिकों की स्वतंत्रता के बहुत बड़े पैरोकार थे।
1950 में नवंबर में मुंबई हाई कोर्ट से वकालत की उन्होंने शुरुआत की अपनी प्रतिभा का उन्होंने लोहा बनवाया यही वजह है कि हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी 11 साल बाद ही फली.एस. नरीमन को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिल गया था अपने करियर की शुरुआती वर्षों में वह मुंबई हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे वर्ष 1972 में नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे।
Fali S Nariman: इंदिरा गांधी सरकार में दे दिया था इस्तीफा
नरीमन को इंदिरा गांधी की सरकार में 1972 में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया जिसके बाद वह मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हो गए थे । संवैधानिक कानून और न्याय के क्षेत्र में फली एस नरीमन के अतुलनीय योगदान को देखते हुए जनवरी 1991 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया 2007 में उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया।
नरीमन साल 1991 से 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा वह इंटरनेशनल कोर्ट आफ आर्बिट्रेशन ऑफ़ द आईसीसी के उपाध्यक्ष रहे।
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फली.एस.नरीमन इंटरनेशनल काउंसिल फॉर कमर्शियल ऑब्जरवेशन के अध्यक्ष का पद भी संभाले थे । फली.एस. नरीमन 1995 से 97 तक एग्जीक्यूटिव कमेटी ऑफ द इंटरनेशनल कमीशन ऑफ़ जूरिस्ट जिनेवा के अध्यक्ष रहे थे।
फली एस.नरीमन स्वतंत्रता के पक्षधर
आपको जानकर हैरानी होगी कि फली.एस. नरीमन नागरिक स्वतंत्रता के बड़े पक्षधर में से एक थे हमेशा उन्होंने पब्लिक लिबर्टी की वकालत की इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया इंदिरा सरकार ने 1975 में देश में आपातकाल लगाने की जब घोषणा की तब इंदिरा सरकार के फैसले का उन्होंने विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया था और देश के जजों पर भी अटूट भरोसा था कहां उनका कहना था कि देश के जजों पर भरोसा है फिर चाहे उनकी नियुक्ति का तरीका कुछ भी क्यों ना रहा है।