Ghaziabad DM Vikram Singh: IAS इंद्र विक्रम सिंह को गाजियाबाद का नया डीएम बनाया गया है इंद्र विक्रम सिंह मूल रूप से यूपी के बलिया के रहने वाले हैं और अपने जनहित कार्यों के लिए जाने जाते हैं । आगरा लखनऊ गौतम बुद्ध नगर शाहजहांपुर बलिया और अलीगढ़ समेत कई जिलों में कई पदों पर काम किया है । इंद्र विक्रम सिंह का जन्म 15/6/1969 को हुआ था। वह साल 1994 में सरकारी सेवाओं में शामिल हुए उन्होंने 2010 में पीसीएस से इस में पदोन्नति किया गया था ।
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उन्होंने 2013- 17 के बीच आगरा की नगर आयुक्त के रूप में काम किया 2017 में शामली के डीएम और कलेक्टर बने 2018 में नोएडा का एसडीओ 2019 में शाहजहांपुर का डीएम और कलेक्टर 2022 में बलिया का डीएम और कलेक्टर और 2022 में बलिया का डीएम और कलेक्टर बनाया गया।
डीएम विक्रम सिंह का अलीगढ़ से नाता पुराना है यह साल 2000 में शुरू हुआ था जब विक्रम सिंह ने अलीगढ़ की कुल अतरौली और तहसीलों के एसडीएम के रूप में काम किया साल 2008 में उन्हें अलीगढ़ के वित्त और राजस्व के रूप में नियुक्त किया गया उसके बाद वह एसडीएम सिटी के रूप में बने रहे। रैंकों में वृद्धि करते हुए वह 2011 में अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के सचिव बने इंद्र विक्रम सिंह को 2010 में पीसीएस से प्रमोट कर दिया गया।
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Ghaziabad DM Vikram Singh: विक्रम सिंह का करियर
ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी वह यूपी के बलिया के रहने वाले हैं। इंद्र विक्रम सिंह अपने सादगी के लिए जाने जाते हैं अक्सर वह अपने काम से जुड़ी चर्चाओं में मसरूफ पाए जाते हैं। वह हर रोज अपने जिले के सरकारी कार्यालय में निरीक्षण करते हैं और अपने कार्यशैली के लिए प्रशंसा पाते हैं । बीते साल एक फोटो सोशल मीडिया पर सिंह की वायरल हुई थी वायरल फोटो में डीएम इंद्र विक्रम सिंह जमीन पर बैठकर अपने दोनों पैर गवा चुके एक दिव्यांग व्यक्ति की शिकायत सुन रहे थे।
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बताया गया कि सेप्टिक संक्रमण के कारण दिव्यांग व्यक्ति के दोनों पर बेकार हो गए जिससे वह चलने फिरने में असमर्थ था व्यक्ति को इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी और वह मदद मांगने के लिए डीएम कार्यालय आया इस दौरान जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह अपने कार्यालय में थे और जब इस बात की उनको जानकारी मिली तो वह तुरंत अपनी कुर्सी छोड़कर अपने कक्ष के बाहर चले गए और उसे व्यक्ति के शिकायत सुनने के लिए जमीन पर बैठकर उन्होंने दिव्यांग व्यक्ति को ₹13000 का चेक भी दिया था।
बतौर डीएम छोड़ी अमिट छाप
इंद्र विक्रम सिंह सुबह 10 बजे से पहले ऑफिस पहुंच जाते थे और जब लोग उनसे मिलने आते थे तो ऐसा लगता मानो कोई डीएम नहीं बल्कि सगा संबंधी उनसे मिल कर अपनी समस्या बता रहा है। समस्या को हल करना उनको बखूबी आता है अपने काम के प्रति ईमानदार और लोगों की समस्या का समाधान करना उनको बहुत पंसंद है। आपको बता दें की इंद्र विक्रम सिंह को मेज पर पड़ा कागज और खड़ा व्यक्ति कतई पंसद नहीं रहा है।