Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मंदिर है की मस्जिद है इसको लेकर हर वक्त चर्चा होते रहती है दरअसल 17 में शताब्दी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले उसे स्थान पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था श्रृंगार गौरी मामले में हिंदू पक्ष के वकील जो है विष्णु शंकर जैन उन्होंने ऐसा दावा किया उन्होंने 839 पेज वाली ASI सर्वे रिपोर्ट के हवाले से दावा किया ASI सर्वे की रिपोर्ट में क्या कुछ है चलिए बताते हैं?
आपको दरअसल बुधवार को कोर्ट ने संबंधित पक्षों को सर्वे रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध कराई जाने की अनुमति दी थी हिंदू पक्ष में लगातार इस रिपोर्ट की कॉपी की मांग की अनुमति मिलने के बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर से सर्वे ज्ञानवापी परिसर पर ऐसा ही सर्वे रिपोर्ट हासिल करने के लिए कोर्ट में आवेदन किया ऐसा ही सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक परिसर में वैज्ञानिक जांच या सर्वेक्षण के दौरान देखी गई सभी वस्तुओं का विधिवत दस्तावेजीकरण किया गया था।
ये भी पढ़ें : Republic Day 2024: कैसा था देश का पहला गणतंत्र दिवस, आजादी के भारत ने कुछ ऐसे मनाया था लोकतंत्र
Gyanvapi Case: ASI रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
एक मूर्तियां सिक्के वस्तु सिर्फ टुकड़े में टिकट बर्तन टेरा कोटा पत्थर धातु और कांच की कई वस्तु शामिल थी हालत इस दौरान इस बात का ध्यान रखा गया की सर्वे के दौरान मौजूद संरचनाओं को कोई नुकसान ना हो सर्वे के दौरान एक पत्थर शिलालेख मिला जिसका टूटा हुआ हिस्सा पहले से ASI के पास था इसमें हजरत आलमगीर यानी मुगल सम्राट औरंगजेब के विश्व शासन काल के अनुरूप मस्जिद का निर्माण दर्ज किया गया था।
इसमें यह भी व्यवस्था की साल 1792- 93 में ASI में मस्जिद की मरम्मत आदि से की गई थी मंदिर के पिलर को वर्तमान ढांचे यानी की मस्जिद को बनाने के लिए किया गया पिलर्स और प्लास्टर को किया गया थोड़े से मोडिफिकेशन के साथ मस्जिद में इनका इस्तेमाल किया गया हिंदू मंदिर के कामों को थोड़ा बहुत बदलकर आ चुका इस्तेमाल किया गया ।
पिलर के नक्कासियों को मिटाने की कोशिश की गई इस मंदिर का एक बड़ा केंद्रीय कक्ष था और कम से कम एक कक्षा उत्तर दक्षिण पूर्व और पश्चिम में था उत्तर दक्षिण और पश्चिम में तीन कक्षा के अवशेष मौजूद है लेकिन पूर्व में कक्षा के अवशेष और इसके आगे के विस्तार का भौतिक रूप से पता नहीं लगाया जा सका क्योंकि क्षेत्र पत्थर के फर्श के नीचे ढका हुआ है।
एक कमरे के अंदर मिले अरबी फारसी शिलालेख में यह कहा गया है की मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के बीच में शासन काल में हुआ इसलिए ऐसा लग रहा है कि पहले से मौजूद संरचना को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था और इसके कुछ हिस्से को मॉडिफाई किया गया और मौजूदा संरचना में पुन उपयोग किया गया था।