Hit and run: हिट एंड रन मामला काफी सुर्खियों में है Hit and run मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की हिट एंड रन केस में पुलिस पीड़ित को निश्चित तौर पर मुआवजे की योजना के बारे में जानकारी देग। हिट एंड कन के मामले में अदालत ने कहा है कि पुलिस पीड़ित को निश्चित तौर पर मुआवजे की योजना के बारे में सूचित करे। केंद्र ने घायलों के लिए 50000 और मृतकों के परिजनों के लिए ₹200000 मुआवजा देने का प्रावधान रखा है लेकिन इसके बारे में जानकारी न होने की वजह से दावा ना के बराबर हो पता है सुप्रीम कोर्ट ने इस पर निराशा जताया है और कहां है कि यह पुलिस की ड्यूटी है कि वह पीड़ित और उसके परिजनों को मुआवजे के बारे में जानकारी दें ।
Hit and run: मुआवजा पाने वाले लोगों की काफी कम संख्या
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 161 के तहत केंद्र सरकार ने हिट एंड रन के केस में विक्टिम के लिए एक मुआवजा स्कीम बनाई है जो 1 अप्रैल 2022 से लागू है लेकिन मुआवजा पाने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। क्योंकि उनको जानकारी ही नहीं है, हादसों की संख्या और मुआवजा के मामले में काफी फर्क है इसके पीछे कारण यह है कि विक्टिम और मृतक के परिजनों को इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है उनको पता नहीं चल पाता है इस वजह से वह दावा नहीं कर पाते हैं की तमाम केस ऐसे हैं जिनमें पुलिस और क्लेम इंक्वारी ऑफिसर को पता है की हिट एंड रन केस हुआ है।
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उन्हें पता है कि जो लोग घटना के शिकार है वह मुआवजा के हकदार हैं लेकिन उनकी ओर से कोई दावा नहीं किया गया ऐसे में विक्टिम और मृत्यु के परिजन को केंद्र के मुआवजा योजना के बारे में बताया जाए। अगर हिट एंड रन केस है और घटना में शामिल वाहन का पता नहीं चला तो पुलिस उसे खोजने की कोशिश करें और एक महीने में भी घटना के लिए जिम्मेंदार वाहन पता नहीं चल पाता है तो पीड़ित और उसके परिजन को लिखकर केंद्र सरकार के मुआवजा योजना के बारे में बताएं इस दौरान पुलिस क्लेम इंक्वारी ऑफिसर्स की डिटेल जिसमें ईमेल आईडी पता और विक्टिम के परिजन को दे क्लेम ऑफिसर को पुलिस संबंधित दस्तावेज भी मुहैया करें।
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क्लेम इंक्वारी ऑफिसर्स के पास अगर एक महीने के भीतर मुआवजे के लिए विक्टिम और परिजनों की ओर से दावा नहीं आता है तो वह इस बारे में जिला लीगल सर्विस अथॉरिटी को सूचित करें क्लेम ऑफिसर इस बात को सुनिश्चित करें कि वह क्लेम आवेदन के एक महीने के भीतर दस्तावेज क्लेम सेटेलमेंट कमिश्नर को भेज दे बेंच ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार मुआवजा राशि बढ़ा कर देने पर भी विचार कर सकती है।
इस फैसले का क्या फायदा होगा
दरअसल सड़क हादसा एक गंभीर समस्या है इस तरह की घटनाओं में होने वाली मौत से परिजनों को आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ता है विक्टिम को आर्थिक तौर पर सुरक्षित करने के लिए कानून में कई सारे प्रावधान है घटना में शामिल वाहन का पता लगने पर वाहन का इंश्योरेंस करने वाली कंपनी विक्टिम को उनकी हैसियत के हिसाब से मुआवजा का भुगतान करेगी ।
इसके लिए मुकदमा मोटर व्हीकल एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल में चलता है जिन मामलों में वाहन का पता नहीं चल पाता और केंद्र की तरफ से मुआवजा दिया जाता है लेकिन स्कीम के बारे में लोगों को काफी कम जानकारी है जिस वजह से लोग दावा नहीं कर पाते हैं और उनको मुआवजा नहीं मिल पाता है लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद लोगों को स्कीम की जानकारी दी जाएगी और विक्टिम को आर्थिक तौर पर मदद मिल पाएगी।