Jagadguru Shri Rambhadracharya: हिंदू धर्म में साधु संतों का खास महत्व है सच्चे और तपस्वी साधु संत अपने प्रवचन और ज्ञान के भंडार से भक्तों को सही मार्ग दिखाकर उनके जीवन का उद्धार करते हैं। वैसे तो बहुत सारे साधु संत है बहुत सारे आध्यात्मिक गुरु हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे संत के बारे में बताएंगे जो आध्यात्मिक गुरु और जन्म से ही सूरदास है यह टीचर भी हैं संस्कृत के विद्यमान भी हैं लेखक भी हैं संगीतकार भी हैं । नाटककार भी हैं और कई भाषाओं का ज्ञान भी है ।
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80 ग्रथों के रचयिता भी है हम बात कर रहे हैं धर्म चक्रवर्ती तुलसी पीठाधीश्वर और पद्म विभूषण से सम्मानित जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी स्वामी महाराज जी के बारे में इस आर्टिकल में आपको उनके बारे में पढ़ने को मिलेगा उनके असाधारण कार्यों को जान सकेंगे आप आप यह भी जानेंगे कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव कल्याण को समर्पित किया है । रामभद्राचार्य जी नेत्रहीन हैं उसके बावजूद भी उन्होंने अपने दिव्य दृष्टि से कई ऐसी भविष्यवाणियां की जो सत्य साबित हुई रामभद्राचार्य को 22 भाषाओं का ज्ञान है और 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं ।
नेत्रहीन होने के बावजूद 22 भाषाओं का ज्ञान
रामभद्राचार्य विश्व का पहला विकलांग विश्वविद्यालय भी चला रहे हैं चलिए आपको महान संत जगत गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के जीवन के बारे में बताते हैं जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज जब केवल दो महीने के थे। तब उनकी आंखों की रोशनी चली गई कहा जाता है कि उनकी आंखें संक्रमित हो गई थी वह पढ़ लिख नहीं सकते थे और ना ही ब्रेल लिपि का प्रयोग कर सकते थे । वह केवल सुनकर ही सीखते थे और बोलकर अपनी रचनाएं लिख पाते थे आंख नहीं होने के बावजूद भी उन्होंने 22 खास भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया और 80 ग्रथों की रचना की ।
जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी को भारत सरकार ने 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य जी रामानंद संप्रदाय के वर्तमान में चार जो गुरु रामानंदाचार्य में से एक है। इसी पद पर 1988 से प्रतिष्ठित है।
Jagadguru Shri Rambhadracharya: रामभद्राचार्य जी का जीवन परिचय
इनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्र है । प्रसिद्ध नाम रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जन्म तिथि 14 जनवरी 1950 जन्म स्थान जौनपुर उत्तर प्रदेश पिता का नाम पंडित राजदेव माता का नाम, सचदेव मिश्रा उनके गुरु पंडित ईश्वर दास महाराज राम प्रसाद त्रिपाठी रामचरण दास खासियत नेत्रहीन होने के बावजूद भी रामचरितमानस गीता वेद उपनिषद वेदांत आदि कंठस्थ सम्मान पद्म विभूषण देवभूमि पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार बद्रायण पुरस्कार राजशेखर सम्मान वर्तमान निवास श्री तुलसी पीठ चित्रकूट है।
आपको बता दें कि रामभद्राचार्य ने चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना की है दो महीने की आयु से ही पूर्ण नेत्रहीन है । वह राम कथा वाचक के तौर पर काफी फेमस है छोटी उम्र से ही नेत्रहीन होने के बावजूद रामभद्राचार्य ने 22 भाषाएं सीखी और 80 गंथों की रचना कर चुके हैं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गुरु रामभद्राचार्य के शिष्य हैं ।
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धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों को लेकर जब विवाद बढ़ा तो गुरु रामभद्राचार्य ने ही उनका बचाव किया आपको बता दें कि जगतगुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरयू पारिन ब्राह्मण परिवार में मकर संक्रांति के दिन हुआ था । आपको जानकर हैरानी होगी कि रामभद्राचार्य जी कर महाकाव्य की रचना कर चुके हैं इतना ही नहीं उन्होंने हनुमान चालीसा में चार अशुद्धियां बता दी थी जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था।
हनुमान चालीसा में बताई थी 4 अशुद्दियां
दरअसल जगतगुरु रामभद्राचार्य ने तुलसीकृत हनुमान चालीसा की चौपाइयों में चार गलतियां बताई थी साथी यह भी कहा था कि इसे सही किया जाना चाहिए उसके बाद उनके बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया गुरु रामभद्राचार्य का कहना था कि हनुमान भक्तों को चालीसा की चौपाइयों का शुद्ध उच्चारण करना चाहिए उन्होंने कहा कि चालीसा की एक चौपाई में शंकर सुमन केसरी नंदन छपा है जबकि इसमें सुमन की जगह स्वयं होना चाहिए।
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इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि हनुमान जी स्वयं भगवान शिव के अवतार हैं वह शंकर जी के पुत्र नहीं है इसीलिए चौपाई में छापा सुवन अशुद्ध है यानी कि गलत है इसके अलावा एक जगह सब राम तपस्वी राजा उन्होंने कहा सब पर राम फिर ताजा होना चाहिए एक चौपाई में छापा सदा रहो रघुपति के दशा के बजाय सदर रहो रघुपति के दशा होना चाहिए और चौथी अशुद्ध उन्होंने बताई कि जो सात बार पाठ कर कोई नहीं यह सत बार पाठ को ही होना चाहिए यह भी गलत है और यह सही होना चाहिए इसके बाद से विवाद गहरा गया था।