Lachit Borphukan: असम के जोरहाट में पीएम मोदी ने किया 125 फीट ऊंची “स्टैच्यू ऑफ वेलोर” का उद्घाटन, जानिए खासियत

Lachit Borphukan: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के जोरहाट में 125 फीट ऊंची “स्टैच्यू ऑफ वेलोर” का उद्घाटन किया।
प्रतिमा को शिल्पकार राम सुतार ने बनाया है। यह प्रतिमा 17वीं शताब्दी के अहोम साम्राज्य के प्रसिद्ध सेनापति लचित बोरफुकन को समर्पित है। उन्हें पूर्वोत्तर का शिवाजी भी कहा जाता है।

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क्या आप जानते है कौन थे लचित बोरफुकन

इतिहास में लचित बोरफुकन उन गुमनाम नायकों में शुमार है जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं।

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चलिए हम बताते है उनके बारे में वैसे तो मुगलों ने भारत देश के बड़े भूभाग पर राज किया था लेकिन उन्हें कई राजाओं और योद्धाओं ने कई बार ऐसी टक्कर दी कि वे कई जगह जीत नही पाए थे। इन्ही योद्धाओं में से एक लचित बोरफुकन थे जिन्होंने मुगलों को कई बार मात दी थी।

24 नवंबर 1622 को असम राज्य में जन्मे लचित बोरफुकन अहोम साम्राज्य के एक महान सेनापति थे। उनके पिता का नाम मोमाई तामुली बोरबरुआ था और माता का नाम कुंती मोरान था। वे युद्धनीति और नेतृत्व कौशल में अत्यधिक निपुण माने जाते थे। उन्‍हें अहोम राजा चक्रध्‍वज सिंह ने अपने साम्राज्‍य का सेनापति बनाया और सोलाधार बोरुआ, घोड़ा बोरुआ और सिमूलगढ़ किले का सेनापति जैसी कई उपाधियां दीं।

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जब मुगलों ने अपनी सीमा के विस्तार के लिए पूर्वोत्तर का रुख किया. उस दौरान उनका सामना असम के महानायक लाचित बोरफुकन से हुआ। उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर 1671 में सराईघाट की लड़ाई में राम सिंह के नेतृत्व वाली मुगल सेना को पराजित किया था। इस युद्ध को एक नदी पर होने वाली सबसे बड़ी नौसैनिक लड़ाई के रूप में जाना जाता है,

Lachit Borphukan: लचित बोरफुकन को असम का वीर माना जाता है।

उनकी वीरता के गौरव गाथा के रूप में एक बुक ‘लचित बोरफुकन – असम्स हीरो हू हाल्टेड द मुगल्स’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया जा चुका है। उनके सम्मान में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक (The Lachit Borphukan Gold Medal) प्रदान किया जाता है। आपको बता दे कि उनकी वीरता और सराईघाट के युद्ध में असमिया सेना की जीत के अवसर पर हर साल 24 नवंबर को असम में लचित दिवस (लच्छित दिवस) मनाया जाता है।

लचित बरफुकन जैसी महान हस्तियों की कहानी हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

चाहे वह पटना में आयोजित पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव 2024 का मंचन हो या जनवरी 2024 में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा गुवाहाटी में ‘असम के ब्रेवहार्ट लाचित बोरफुकन’ का विमोचन. हर जगह उनकी गौरव गाथा सुनी जा सकती है।

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