Lakshagriha Case: लाक्षागृह विवाद चर्चा में है इसको लेकर हिन्दू पक्ष में फैसला आया है ऐसे में लोग इसको लेकर सर्च करने लगे हैं कि आखिर क्या है ये। तो चलिए आपको बताते हैं दरअसल दिल्ली से लगभग 100 किलोमीटर दूर हिंडन और कृष्णा नदी के संगम के पास एक ऐतिहासिक जगह है । इस जगह को लेकर बीते 53 साल से विवाद चल रहा था । हिंदू पक्ष के लोग इसको महाभारत कालीन लाक्षागृह बताते हैं तो वहीं मुस्लिम पक्ष इसे दरगाह कहते हैं ।
लाक्षागृह हिन्दुओं के पक्ष में फैसला
कोर्ट ने मामले में मुस्लिम पक्ष के दलील को खारिज कर दिया। यह केस मेरठ की अदालत में 1970 में फाइल किया गया था । लाक्षा गृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी महाराज थे वही मुस्लिम पक्ष की तरफ से मुकीम खान थे फिलहाल दोनों ही इस दुनिया में नहीं रहे हैं।
बरनावा गांव मेरठ से 40किलोमीटर दूर
बरनावा नाम का गांव मेरठ से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह इलाका सुनसान नजर आता है कहा जाता है कि महाभारत काल की जगह है जहां पर दुर्योधन और शकुनि ने पांडव को मारने लिए लाख के महल का निर्माण करवाया था बरनावा का नाम भी वार्णावर्त का हिस्सा माना जाता है यहां पर एक ऊंचा टीला है इसके आसपास टूटी हुई दीवारें हैं। दीवारों पर कुछ जलने के निशान है जो आज भी देखे जा सकते हैं।
Lakshagriha Case: मुस्लिम पक्ष ने कहा दरगाह की जमीन
मुस्लिम पक्ष ने टीले के आसपास की कई जमीन पर दावा किया था और कहा था कि कब्रिस्तान और दरगाह की जमीन है महाभारत काल के साक्ष्य मिलने की बात कही गई राजस्व रिकॉर्ड में इस जगह का नाम लाक्षागृह के नाम से ही दर्ज है कोर्ट में हिंदू पक्ष ने कहा कि यहां आज भी सुरंग है जिसकी मदद से पांडव बच गए थे । इसके अलावा लाख के किले की बड़ी सी एक जमीन के अंदर राख और शिव मंदिर के अंदर अवशेष भी है।
ASI द्वारा ये जगह संरक्षित
यह जगह ASI द्वारा संरक्षित है अगर आज के समय में यहां के हालात की बात करें तो यहां पर एक छोटा सा बोर्ड लगा है जिसमें लाक्षागृह बना हुआ लिखा हुआ है इसमें यह बताया गया है कि यह पांडव कालीन है यहां लोग ना के बराबर ही आते हैं। 1992 में एएसआई की देखरेख में यहां पर खुदाई हुई थी कई वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन मिले थे बर्तनों की उम्र तकरीबन 4500 साल पुरानी बताई गई लोगों का कहना था कि अगर आज भी यहां पर खुदाई की जाए तो बहुत सारी चीज मिलेंगे।
क्यों शापित है ये जगह ?
आपको बता दें की स्थानीय लोग इस जगह को श्रापित मानते हैं कहते हैं कि यहां आस-पास लोगों ने निवास नहीं किया है उनका कहना है कि यहां बस्ती बसाना संभव नहीं है । इस लाक्षागृह में जब आग लगवाई गई तो बहुत सारे लोग मर गए थे इसके बाद से यह जगह उजाड़ ही पड़ी रही यहां ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ लोगों का कहना है कि उन लोगों की आत्मा यहां पर भटकती है इसलिए जगह को शापित मानते हैं।