Prevention of Unfair Means Bill 2024: पेपर लीक में 10 साल जेल और 1 करोड़ का जुर्माना, जानें क्या है पूरा प्रावधान

Prevention of Unfair Means Bill 2024: नकल पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल केन्द्र सरकार ने कंपटीशन एग्जाम में गड़बड़ी और नकल से निपटने वाले प्रावधान को ( लोक परीक्षा अनुचित साधनों का निवारण विधेयक)( 2024) Prevention of Unfair Means Bill लोकसभा में पेश कर दिया है। दरअसल हाल ही में इस बिल को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दी थी। प्रस्तावित बिल में स्टूडेंट्स या कैंडिडेट को निशाना नहीं बनाया जाएगा बल्कि इसमें संगठित अपराध माफिया और जो भी इसमें शामिल पाए लोग होंगे उनके खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान है।

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यह केंद्रीय कानून होगा और इसके दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षा और केंद्रीय विश्वविद्यालय में एंट्री के लिए होने वाली परीक्षाएं भी शामिल हैं चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस बिल में क्या है खास ।

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Prevention of Unfair Means Bill 2024: क्या है इस बिल में खास ?

  • लोक परीक्षा अनुचित साधनों का निवारण विधेयक के तहत आने वाले सभी अपराध गैर जमानाती है इनमें जमानत नहीं होगी, और गंभीर श्रेणी में माने जाएंगे।
  • Prevention of Unfair Means में शामिल होते हैं और दोषी पाए जाते है तो उन्हें कम से कम 3 साल की सजा होगी और जिसको 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
  • इसके साथ ही 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा जुर्माना नहीं देने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता 2023 के अनुसार सजा दी जा सकती है ।
  • अगर पेपर लीक और नकल के मामले में कोई भी संस्थान शामिल होता पाया गया तो उससे परीक्षा का पूरा खर्च वसूला जाएगा और उसकी संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी ।
  • अगर परीक्षा में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इस स्थिति में सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है।
  • विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि सर्विस प्रोवाइडर पर एक करोड रुपए तक का जुर्माना लगाया जाए। उसे 4 साल तक किसी भी पब्लिक एक्जाम को करवाने पर बैन भी लगाया जा सकता है।
  • प्रस्तावित विधेयक में संगठित अपराध माफिया और पेपर लीक में मिली भगत में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है । विधेयक में परीक्षाओं में अनियमितताओं से संबंधित अपराध के लिए कम से कम 10 साल तक की सजा और एक करोड रुपए तक के जुर्माने का भी प्रावधान है ।
  • अगर सर्विस प्रोवाइडर फॉर्म के डायरेक्टर सीनियर मैनेजमेंट और सीनियर अधिकारी दोषी साबित हो जाते हैं तो उन पर एक करोड़ तक का फाइन और 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती है। कम से कम 3 साल की सजा तो तय है जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
  • विधेयक में उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के गठन का प्रस्ताव है जो कंप्यूटर के जरिए परीक्षा प्रक्रिया को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिश करेगी।
  • यह केंद्रीय कानून होगा और इसके दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं और केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिल होने वाली परीक्षाएं भी शामिल होंगी।
  • यूपीएससी, एसएससी, रेलवे बोर्ड, बैंकिंग, नीट मेडिकल और इंजीनियरिंग समेत कई परीक्षाओं को इसके दायरे में लाया जाएगा ।
  • नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा भी इसी दायरे में आएगी।

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सरकार इस कानून के जरिए स्टूडेंट को देना चाहती है संदेश

आपको बता दें कि सरकार पेपर लिक के खिलाफ मजबूत कानून लाकर स्टूडेंट्स को संदेश देने की कोशिश कर रही है दरअसल बीते वर्षों में पेपर लीक देश में एक बड़ा मुद्दा बना है, कई जगहों पर पेपर लीक होने की वजह से छात्रों में आक्रोश देखने को मिला है। राजस्थान,बिहार, एमपी,यूपी कई जगह पर पेपर लीक होने की वजह से छात्रों का विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिला है। विपक्ष पर पेपर लीक को लेकर सरकार पर हमेशा सवाल उठाती रही है ऐसे में सरकार इस विधेयक के जरिए छात्रों को ये संदेंश देना चाहती है कि वो छात्रों के भविष्य के प्रति सरोकार है।

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