Shivlinga: क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि जिस शिवलिंग की या पूजा करते हैं उसका भी अपना एक विज्ञान है शिवलिंग के तीन हिस्से होते हैं। पहले जो नीचे चारों ओर भूमिगत रहता है मध्य भाग में आठ और एक समान सत्यपानी होती है और लास्ट में इसका शीर्ष भाग जो कि अंधकार होता है।
जिसकी पूजा की जाती है शिवलिंग की ऊंचाई संपूर्ण मंडल या परिधि की एक तिहाई होती है यह तीन भाग ब्रह्मा नीचे विष्णु मध्य में और शिव शीर्ष का प्रतीक है । शीर्ष पर जल डाला जाता है जो नीचे बैठक से बहते हुए बनाए गए एक मार्ग से निकल जाता है शिव के माथे पर तीन रेखाएं त्रिपुंड और एक बिंदु होता है यह रेखाएं शिवलिंग पर समान रूप से अंकित की जाती है ।
Shivlinga: अपने आप में अद्भभूत है शिवलिंग
सभी शिव मंदिरों का गर्भ गृह में गोलाकार आधार के बीच में रखा गया एक कुमाऊं कदर और अंडाकार शिवलिंग के रूप में नजर आता है प्राचीन ऋषि और मुनियों द्वारा ब्रह्मांड के वैज्ञानिक रहस्य को समझकर इस सच को जानने के लिए विविध रूप में इसका स्पष्टीकरण करते हैं पुरातात्विक निष्कर्ष के मुताबिक प्राचीन शहर में मेसोपोटामिया और बेबीलोन में भी शिवलिंग की पूजा किए जाने के सबूत मिले ।
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इसके अलावा मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के विकसित संस्कृत में भी शिवलिंग पूजा के पुरातात्विक अवशेष मिले सभ्यता के प्रारंभ में लोगों का जीवन पशु और प्रकृति पर निर्भरता है इसीलिए वह पशुओं को संरक्षण के देवता के रूप में पशुपति की पूजा करते थे सांडो सभ्यता से प्राप्त एक सेल पर तीन मुंह वाले पुरुष को दिखाया गया।
Shivlinga: शिवलिंग के प्रकार
इसके आसपास कई पशु है इसे भगवान शिव का पशुपति रूप माना जाता है वैसे तो प्रमुख रूप से शिवलिंग दो प्रकार के होते हैं लेकिन पुराणों के अनुसार शिवलिंग के प्रमुख रूप से होते हैं देवलिंग जो शिवलिंग को देवताओं या अन्य प्राणियों द्वारा स्थापित किया जाता है।
उसे देवलिन कहते हैं पुराण लिंग पौराणिक काल के व्यक्तियों द्वारा स्थापित शिवलिंग को पुराण लिंग कहते हैं पश्चिमी हिमालय में अमरनाथ गुफा में हर जाड़े में गुफा के तल पर पानी टपकने से बर्फ का शिवलिंग बन जाता है कदावुल मंदिर में 320 किलोग्राम तीन फीट ऊंचा स्वयंभू स्फटिक शिवलिंग स्थापित है सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान कालीबंगा और अन्य खुदाई के स्थलों पर मिले पक्की मिट्टी के शिवलिंगों से प्रारंभ शिवलिंग पूजन के सबूत मिलते हैं।