Uniform Civil Code: क्या है समान नागरिक संहिता, भारत के इस राज्य में है पहले से लागू, जानें UCC से जुड़ी हर जानकारी ?

Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि समान नागरिक संहिता इसको लेकर चारों तरफ चर्चा हो रही है। ऐसे में इसके बारे में हर एक डिटेल जानना बहुत ही ज्यादा जरूरी है कि आखिर क्यों सरकार इसको लागू करना चाहती है इसके लागू होने के बाद क्या कुछ बदल जाएगा । चलिए आपको समान नागरिक संहिता की पूरी जानकारी विस्तार से बताते हैं।

Join Whatsapp Channel
Join Telegram channel

क्या है समान नागरिक संहिता ?

दरअसल समान नागरिक संहिता यानी की यूनिफॉर्म सिविल कोड पूरे देश के लिए एक कानून बनाती है। जो सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामले जैसे संपत्ति, शादी, विरासत और गोद लेने आदि में लागू होगा। इसका मतलब यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम 1937 जैसे धर्म पर आधारित मौजूदा कानून व्यक्तिगत रूप से खत्म हो जाएंगे । साधारण शब्दों में कहें तो समान नागरिक संहिता का सीधा मतलब है एक ऐसा प्रावधान इसके लागू होने के बाद राज्य में शादी तलाक संपत्ति और गोद जैसे नियम एक समान हो जाएंगे।

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा पेश, नाजायज बच्चे भी जैविक संतान, जानें ड्राफ्ट में क्या है प्रावधान

Uniform Civil Code: कब उठा था यह मामला

दरअसल समान नागरिक संहिता की शुरुआत औपनिवेशिक भारत में हुई जब ब्रिटिश सरकार ने 1835 में अपनी एक रिपोर्ट पेश की जिसमें अपराध सबूत और अनुबंधों से संबंधित भारतीय कानून के संहिता कारण की एकरूपता की आवश्यकता पर बल दिया गया था। साथ ही यह भी सिफारिश की गई थी कि हिंदू और मुसलमान के व्यक्तिगत धर्म को इस तरह के संहिता से बाहर रखा जाए ब्रिटिश सरकार सभी नागरिकों को समान कानून देना चाहती थी।

बी.एन.राव समिति में हुई सिफारिश

आपको बता दे कि ब्रिटिश सरकार ने व्यक्तिगत मुद्दों से निपटने वाले कानून में बढ़ोतरी को देखते हुए 1941 में हिंदू कानून को संहिताबद्ध यानी कि एकजुट करने के लिए बी.एन.राव समिति बनाई थी। इस समिति का काम हिंदू कानून की आवश्यकताओं की जांच करना थाष। समिति ने शास्त्रों के मुताबिक एक संहिताबद्ध हिंदू कानून के सिफारिश की जो महिलाओं को समान अधिकार देने की बात करती थी। समिति ने 1937 के अधिनियम की समीक्षा की और हिंदुओं के लिए शादी और उत्तराधिकार के नागरिक संहिता की मांग की ।

Gobi Manchurian: ऐसा क्या है गोभी मंचूरियन में जिसको लेकर छिड़ी है बहस, गोवा में बैन तक लगाने की आ गई नौबत ?

बी.एन.राव की समिति का रिपोर्ट का प्रारूप बी आर अंबेडकर की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति को पेश किया गया। 1952 में हिंदू बिल को दोबारा पेश किया गया। बिल को 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के रूप में अपनाया गया।

BJP के एंजेंडे में हमेशा से शामिल है ये मुद्दा

आपको जानकर हैरानी होगी कि समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का मुद्दा लंबे समय से चला रहा है। भाजपा के एंजेंडे में हमेशा से ही शामिल रहा है हमेशा से बीजेपी जोर देती रही है कि इसे लेकर संसद में कानून बनाया जाए। बीजेपी के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी ऐसा मिला था।

गोवा में 1962 से है लागू

आपको बता दें कि वैसे तो समान नागरिक संहिता को लेकर हर बार ही आवाज उठती रही है लेकिन देश में गोवा एक ऐसा राज्य है जहां 1962 में उसको लागू कर दिया गया था। गोवा सिविल कोर्ट गोवा का उच्च यानी की यूनिफॉर्म सिविल कोड है यह सभी धर्म के लिए एक समान कानून बनाता है जैसे गोवा में शादी के बाद अगर शादी के वक्त कोई ऐलान अलग से ऐलान ना किया गया हो , तो दोनों एक दूसरे की संपत्ति में बराबर के हकदार होंगे। अगर तलाक होता है तो पत्नी-पति की संपत्ति में आधी की हकदार होगी।

All India Rank: ऑल इंडिया रैंक का ट्रेलर Viral, 12th Fail के बाद IIT Movie का होगा धमाका

मां-बाप को कम से कम आधी संपत्ति अपने बच्चों के साथ शेयर करनी होगी जिसमें बेटियां भी बराबर की हकदार होती हैं। शादी के रजिस्ट्रेशन दो चरण में होते हैं पहले चरण में औपचारिक तौर पर शादी इस दौरान लड़का लड़की और उनके मां-बाप का होना जरूरी है। इसके अलावा बर्थ सर्टिफिकेट निवास और रजिस्ट्रेशन की भी जरूरत पड़ती है।

दूसरे चरण में शादी का रजिस्ट्रेशन होता है चाहे वह किसी भी धर्म का हो वह एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता इसके लिए दो गवाहों की जरूरत होती है। गोवा में इनकम टैक्स पति-पत्नी दोनों की कमाई को जोड़कर लगाया जाता है अगर पति और पत्नी दोनों को कमाते हैं तो दोनों की कमाई को जोड़ा जाता है और कुल कमाई पर टैक्स लगा दिया जाता है।

Leave a comment

The First omen movie Story The First Omen: अकेले देखने की गलती मत करना, वरना Karna Pishachini: कौन होती है कर्ण पिशाचनी, क्या है इसका इतिहास ? ऑस्कर अवॉर्ड 2024 में बिना कपड़ों के ही पहुंच गए जॉन सीना, मच गया बवाल Delhi Police: 4 लाख मस्जिद होने के बाद भी सड़क पर नमाज, सही या गलत ?