White Paper Vs Black Paper: व्हाइट पेपर Vs ब्लैक पेपर सुर्खियों में बना हुआ है। दरअसल संसद के बजट सत्र के कार्यकाल को एक दिन आगे बढ़कर अब 10 फरवरी कर दिया गया है रिपोर्ट की माने तो इस दौरान भाजपा यानी की भारतीय जनता पार्टी 10 सालों की आर्थिक प्रगति पर एक श्वेत पत्र जारी करने वाली है इसके जवाब में कांग्रेस भी मोदी सरकार के 10 सालों के कामकाज पर ब्लैक पेपर जारी करेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इसको पेश कर सकते हैं लोकसभा चुनाव से पहले दोनों बड़े राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ सभी राजनीतिक हथकंडे अपना रहे है।
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श्वेत पत्र का जिक्र वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने बजट भाषण में किया था सीतारमण ने कहा था कि 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब भारतीय अर्थव्यवस्था संकट के दौर में थी। वित्त मंत्री मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को टिकाऊ और सतत विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए बहुत ही ज्यादा मेहनत की। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि आखिर यह श्वेत पत्र क्या होता है और ब्लैक पत्र क्या होता है यानी कि व्हाइट पेपर क्या होता है और ब्लैक पेपर क्या होता है तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या होते हैं दोनों पत्र और इसका इस्तेमाल किसलिए किया जाता है।
White Paper Vs Black Paper: क्या होता है श्वेत पत्र ?
दरअसल श्वेत पत्र एक सरकारी दस्तावेज होता है जो सरकार की नीतियों और उपलब्धियां को उजागर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसका उपयोग जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए इसके जरिए जन समर्थन हासिल करने के लिए भी किया जाता है। सरकारी दस्तावेज कई रंगों में कोडेड होते हैं ताकि उसके मुताबिक ही उसका वितरण हो सके।
यह दस्तावेज सफेद कवर में बंधा होता है जिस वजह से इसको सफेद पत्र कहा जाता है कई बार क्या होता है कि जो सत्ताधारी दल पिछली सरकार की नीतियों का पर्दाफाश करते हैं उनके खिलाफ जनादेश तैयार करते हैं और इसके लिए ही इस सरकारी दस्तावेज का इस्तेमाल राजनीति मकसद से किया जाता है।
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दरअसल एक श्वेत पत्र में आर्थिक मामलों से जुड़े क्षेत्र में सरकार किसी संस्था की आर्थिक नीतियां उसकी कमियां उससे होने वाले दुष्परिणाम और सुधार हेतु सुझाव को शामिल करती है । जबकि उत्पादन या तकनीक से जुड़े श्वेत पत्र में उस उत्पादन या विभिन्न जानकारियां शामिल होती है ज्यादातर श्वेत पत्र संभवत देश की राजकोषीय नीति मौद्रिक नीति व्यापार नीति और विनिमय दर नीति का आकलन और विश्लेषण करते हुए भारत सरकार की समग्र आर्थिक नीति का वर्णन करता है ।
जारी कौन करता है श्वेत पत्र
दरअसल श्वेत पत्र सरकार के अलावा किसी भी संस्था कंपनी द्वारा जारी किया जा सकता है इसके जरिए वह संस्था या कंपनी अपने ग्राहकों कर्मचारी या जनता को अपने उत्पादों की विस्तृत जानकारी दे सकती है। इसके अलावा कई संस्था अपने द्वारा शुरू की गई तकनीक का प्रचार प्रसार करने के लिए भी श्वेत पत्र वितरण करती है।
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अब ब्लैक पेपर क्या होता है चलिए यह जानते हैं
दरअसल श्वेत पत्र के ठीक उलट ब्लैक पेपर होता है यह भी एक राजनीतिक दस्तावेज होता है जो किसी भी सरकार की कमजोरी को बताने और उसकी आड़ में सियासी लाभ लेने या सरकारी दावे और आंकड़ों के रूप में विपक्ष द्वारा पेश किया जाता है। दरअसल नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कांग्रेस ने 10 साल अन्नाय काल शीर्षक से एक ब्लैक पेपर जारी किया है।
मल्लिकाअर्जुन खड़गे ने की ब्लैक पेपर जारी
ब्लैक पेपर को जारी करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र की मोदी सरकार पर बेरोजगारी के मुद्दे को नजरअंदाज करने महंगाई बढ़ाने और पिछले दशक में गैर भाजपा नेतृत्व वाले राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। जिसके बाद से ब्लैक पेपर और व्हाइट पेपर चर्चा में है।